मर्द
पब्लिक प्लेस में जब भी जाए
गुटखा न थूके धुआं न उड़ाए
नशे की अगर बास न छोड़े
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
लाल बत्ती पर दुनिया रूकती
'ठहरिये' ज़ेब्रा लाइन भी कहती
पीछे से आकर हॉर्न न बजाये
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
चार लोगों में जोर से न चिल्लाये
सुने नहीं अपनी बकता न जाए
ज्ञान की ढपली पीटता न जाए
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
शान से जिए पैसा खुब कमाए
बड़ी गाड़ियों में दिलवाला जाए
शीशा सरकाये कचरा न फेंके
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
पडोसी की खुशी में ख़ुशी पाए
फटे में किसी की टांग न फसाये
गाली में माँ बहन याद न दिलाये
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
दिल्ली वालों का सलीका होता है
गाड़ी चलाने का तरीका होता है
खुद मार टक्कर घूरता न जाए
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
पिता
बोझ इस कदर था उसके कन्धों पर
उलझनों से उसे सदा घिरा देखा
इंसान था वह भी हंसना जानता था
मगर जब देखा उसे संजीदा देखा
हैसियत थी मगर मन कहाँ से लाता
खुद पर खर्चने का न ज़ज़्बा देखा
टूट जाने की हद तक पिसता था
आराम करते उसे कम ही देखा
दिल खोल देता वो दोस्त की तरह
मैंने मगर उसमें सिर्फ पिता देखा
कुकर कुकर्मी कमसिन कढ़ाई
कुकर कुकर्मी मुझे देख तू सीटी क्यों बजाता है
दाल कहीं और गला भला मुझसे क्या नाता है
मैं कमसिन कढ़ाई कड़छीपूरा की रहने वाली
गंजी की मैं बड़ी बहन तवा जी की मैं घरवाली
तपा हुआ कुनबा मेरा मत उलझ पछतायेगा
हैंडल तेरे फसा दूंगी तो कू कूकरता जायेगा
शाहों के हम ठहरे बर्तन आग से लोहा लेते हैं
उफ़ नहीं करते गर्मी बिन आवाज़ सह लेते हैं
काम करता है तू कम शोर अधिक मचाता है
सुन्दर लड़कियों पर क्यों बुरी नज़र टिकाता है
अलमुनियम तेरा घराना स्टील जो तेरा बाप है
दादाजी मेरे लोहा जो तेरे बाप के भी बाप हैं
छुरा पलटा और चिमटा नाम तूने सुना होगा
पेंट गीली हो जाएगी जब उनसे सामना होगा
हम रजवाड़े खानदानी आवारा है तू लड़का
तेरी माँ की दाल में दूँ क्या प्याज का तड़का
लावारिस तू निकल! कहीं और जा बीन बजा
अपने घरबार और असली बाप का पता लगा
हमीं से म्याऊं!
ये तेरे तेवर और ये कलेवर
जा किसी और को दिखईयो
तू हमसे है समझी! ये अकड़
किसी और को दिखईयो
जाती है कि अभी तुझे बताऊं
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
भूल गई तू क्या थी! क्या
तेरी हस्ती हुआ करती थी
हम से क्या छुपा लल्ली तू
दिल्ली छह में रहा करती थी
चौड़ तूने हमसे सीखी है बताऊं!
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
कैपिटल हुआ करती थी तू
क्राइम कैपिटल किसने बनाया
मोस्ट पॉल्यूटेड शहरों में तेरा
नाम दर्ज किसने करवाया बता
हमने सजाया है तुझे गंदगी से
वर्ना तुझे तेरीऔकात मैं बताऊं
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
टैक्स भरते हैं सुन हमारी मर्जी
तू क्यों बोली! ज़्यादा चढ़ी चर्बी?
लेक्चर किसी और को दियो
बाप हैं हम ! हमें मत सिखाइयो
शर्मा अंकल से तेरी बात कराऊँ
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
घूरती क्या है अंदर करवाएगी
बुला ले चल! यार से पिटवाएगी
सुन अपनी औकात में रहियो
जेल की धमकी से मत डराईयो
पीठ पर अभी निशान दिखाऊं?
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
मिनिस्ट्री में अपनी घुसपैठ है
कमिश्नर के संग भी उठबैठ है
एसपी तो हमारे पास का ही है
मेरे ताया का जमाई ही तो है
दो मिनट में गायब! चल दिखाऊं
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
निकल! हवा आने दे! पछताएगी
नाक रगड़ती हुई यहाँ से जायेगी
मैनर्स क्या हैं मैं तुझे सिखाऊं?
हमारी दिल्ली और हमीं से म्याऊं
फरेब
जिनको आना था मेरी आवाज़ पर सब आये
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
मैं हमेशा तुझसे दिल से मिला करता था
कि साथ देगा तुझे तकदीर मैं मानता था
मौका दर मौका तू मुझे ज़ख्म देता रहा
पीछे से खंज़र मेरी पीठ में घोंपता रहा
बहुत हुआ धोखे अब और खाऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
तू जो हर बात छुपा जाता था हर बार
सच कहूं तो बुरा बहुत लगता था यार
उस पर भी तुर्रा कि तुझे बुरा न लगे
सोचकर चुप रह जाता था हर बार
फरेब के जाल अब और आऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
तेरा वज़ूद सिर्फ भूली एक कहानी है
है जाम जिसमें वो ज़हरीला पानी है
तू सिर्फ एक खबर है वो भी बुरी
ऐसा मंज़र जिसे कोई सोचता नहीं
ज़ख्म जिसे कभी मैं सहलाऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
मिट जाए ख़ाक हो जाए जो नसीब तेरा
तेरे ज़नाज़े में भी मैं अब आऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
इज़्ज़त का फालूदा
मियां इज़्ज़ार बेग़ होते थे एक चचा अपने
बड़े लोगों में बैठते खूब खर्च किया करते
शाही ठाठ गए हो गयी पैसे की किल्लत
पढ़े लिखे कम थे लिख लेते थे सिर्फ खत
काम कई खोले मगर कोई भी नहीं फला
लखनऊ शहर में कोई भी काम नहीं बना
चचा ने किया तब पेशा रबड़ी फालूदा का
स्वाद रास आया तो धंधा भी चल निकला
बैनर चचा ने दूकान का कुछ ऐसे बनवाया
'हो जाए जी रबड़ी और इज़्ज़त का फालूदा'
का करूँ सजनी..
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
मोमोज बर्गर बैठे इसमें दुकान सजाये
काबू में न आए रोज़ बढ़ता ही जाए
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
स्लिम ट्रिम गबरू होते थे एक समय पर हाए
अब तो हमसे पहले ही मुआ घर में घुस जाए
मैं चिल्लाऊं कोसूं लजाऊँ
फैट क्यों न जाए रोज़ क्यों बढ़ जाए
यंग ऐज के सब गुलछर्रे
शो करता जाए
बढ़ता ही जाए
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
जब भी कोई जिम को जावे
जियरा मोरा अकुलाये
बहुत हो गया आलस कल से
वाक पे जायेंगे साले
स्योर जायेंगे साले
सुबह जब आये नींद सताये
बिस्तर प्यारा लागे
रहने दे आज साले
कल से स्योर साले
कमसिन उमरिया यों ही बीती जाए
पेट निकला जाए
बढ़ता ही जाए
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
भोर होवे रोज़ सांझ ढले रे समय लेता अंगड़ाई
जग सारा मशरूफ हमको चिंता बहुत सताई
बीपी न हो जाए
जियरा घबराये
आफत कोई न आये
बीमार न हो जाए
कच्ची उम्र में ही ओ मोरी मैया
टें बोल जाएं
हम उठ जाएँ
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
मोमोज बर्गर बैठे इसमें दुकान सजाये
काबू में न आए रोज़ बढ़ता ही जाए
का करूँ सजनी ये पेट निकला जाए
ढोल पिटाई
बड़े ढीले होते थे बड़े बाबू
स्टाफ पर नहीं था कोई काबू
बेकाबू वो स्टाफ के चलते
अफसर से खाते थे रोज़ चाबुक
न बनी बात ऐसे तो यारो एक दिन
अफसर ने ऑफिस में बुलवाया
लीडर बनने का बढ़िया नुस्खा
बॉस ने कुछ इस तरह बतलाया
एक चम्माच कॉन्फिडेंस ले लेना
उससे डबल तुम लेना अथॉरिटी
उससे डबल लोगे जो इंटीग्रिटी
आधी चम्मच ले लेना सिंसेरिटी
कूटपीस कर पाउडर कर लेना
दिन में दो बार पानी संग ले लेना
हो जाओगे तुम एक बढ़िया लीडर
स्टाफ जैसे शेर के सामने गीदड़
लीडर बनने का वह उम्दा नुस्खा
बड़े बाबू के भेजे में घर कर गया
कूट पीसकर उन्होंने सब चीज़ें
कपड़छन किया चूरन बन गया
बीवी को तब भी मारा एक ताना
चूरन लो यह असर हमको बताना
बच्चों पर कुछ काबू रखा करो
हमेशा ढीली मत तुम रहा करो
चूरन से बॉडी असर दिखाने लगी
आवाज में बुलांदी छाने लगी
अफसर के जैसे बाबू पार्क जाते
मिसेज़ को भी साथ लेकर जाते
बड़े बाबू के स्टाइल बदल गए
मिसेज़ के बाल भी सेट हो गए
जूनियर्स को बाबू अब हडकाते
अथॉरिटी के जलवे दिखाते
स्टाफ ने उनका बाईकॉट किया
चमचों ने भी बाईपास कर दिया
बॉस के से सीधे अब मिलने लगे
डिवाइड एंड रूल चलने लगे
प्रेशर बाबू पर काम का बढ़ गया
कोऑपरेशन स्टाफ से घट गया
ज़िन्दगी बाबू की अब झंड हो गयी
दाल अथॉरिटी की कच्ची रह गयी
बी पी शुगर की शिकायत हो गयी
बीवी को घर चूरन माफिक आया
बढ़िया लीडर उनमें से बाहर आया
अथॉरिटी चेहरे पर रुआब ले लाई
बड़े बाबू की घोर शामत बन आई
बॉस की चाबुक पहले ही खाते थे
बीवी से भी अब रोज़ मुंह की खाते
बड़े बाबू पर अब मुर्दानगी रहती है
दो तरफ से ढोल पिटाई हो रहती है
जय कमेटी मैया की
मन रे क्यों बेकल होता है
क्यों नहीं कमेटी मैय्या की
शरण तू ले लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
जॉब किया तूने जीवन भर
रहा हो के सब से पराया
फंड ही केवल पास था जब
घर बापिस तू आया
बदल गया संसार था जब
नौकरी कर के आया
सब दुख दूर करेगी मैय्या
क्यों नहीं जतन तू कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
रिश्ते नाते प्यार वफा सब
तुझको कुछ भी न भाया
बंधु पड़ोसी मित्र कोई भी
समय पर काम न आया
गम ना कर जो तूने कमाया
खर्च न तू कर पाया
कमेटी माँ के व्रत में क्यों नहीं
इन्वेस्ट कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
सरल कमेटी माँ का व्रत है
फल अवश्य देती है
नियम करम का ध्यान जो रखता
विश पुरी करती है
कोई चूक जो हो जाये तो
दंड भी दे देती है
किसी भक्त से क्यों नहीं व्रत की
विधि तू समझ लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
पेट काट कर जीने का
रवैया तू बिसरा दे
खाले पीले मज़े उड़ा ले
प्रॉफिट खूब बना ले
नए दोस्त बन जायेंगे क्यों नहीं
ट्राई तू कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
चिटफंड कह लो कमेटी बोलो
चिट्टी या किट्टी कह दो
मालामाल कर देगी
शरण जो उनकी ले लो
रिच लोगों में नाम क्यों नहीं
शामिल कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है
मन रे क्यों बेकल होता है
क्यों नहीं कमेटी मैय्या की
शरण तू ले लेता है
जय कमेटी मैया की
कॉर्पोरेट विक्रम बेताल
हा हा हा
विक्रम पहचाना
मैं बेताल
ले मैं फिर आ गया हूँ
पूछने सवाल
तू मेरे प्रश्नों का उत्तर
अपनी बुद्धिबल और
तर्क से यूँ ही देता रह
मुझे तेरा जवाब
अच्छा लगा तो
तेरे कंधों की सवारी
छोड़ दूंगा
अन्यथा तेरी खोपड़ी के
कर दूंगा टुकड़े टुकड़े
तो सुन
एक सरकारी ऑफिस था
एक ईमानदार व्यक्ति वहां
मैनेजर के पद पर आया
वह कर्मशील था इसलिए
काम करने से
उसे आनंद मिलता
और हर दिन वह
कुछ नया करता
बॉस का मगर वह
चहेता नहीं था
अपितु बॉस उससे
जलता था
जहाँ सभी कर्मचारी
करते थे जी हुज़ूरी
वहां इस व्यक्ति की थी
काम करना मज़बूरी
वह सिर्फ अपने काम से
काम रखता और बाकी
सबको ठेंगे पर
अप्रैज़ल का जब
समय आया यानी
बॉस के हाथ में
पॉवर बम आया
कॉम्पिटिशन अधिक था
मैनेजर का भगवान ही
मालिक था
चमचों की जी हुजूरी
आखिर रंग लाई
प्रतिद्वंदी की सैलरी
यह कह कर बढ़ाई गयी
कि ऑफिस के
सभी बाकी टार्गेट्स में में वह
अधिक जुझारू पाई गयी
मैनेजर दुखी तो था
मगर उसने
हौसला नहीं छोड़ा
वह चतुर भी था
प्रतिद्वंदी का नाम
शांति था
मैनेजर का नाम कर्म तथा
बॉस का नाम परिणाम था
शांति बहुत सुन्दर थी
अपितु मैनेजर कर्म ने
शांति के घर जाकर
उसके घरवालों से उसका
हाथ मांग लिया
तथा शादी करली
इस प्रकार कर्म को
अप्रैज़ल का फायदा और
शांति दोनों मिल गए
परिणामस्वरुप उसने
बॉस परिणाम को
ठेंगा दिखा दिया
यह कथा सुनने के बाद
तू बता विक्रम कि
कर्म बड़ा है
परिणाम बड़ा है
या शांति बड़ी है
अतिशीघ्र बता वर्ना
तेरी खोपड़ी के
कर दूंगा टुकड़े टुकड़े
विक्रम बोला सुन बेताल
इस कथा में कर्म बड़ा है
जो अपने कर्म में
था निपुण और चतुर भी
अप्रैज़ल सही ना भी मिले
तो कर्म करने के बाद
शांति मिलना स्वाभाविक है
हा हा हा विक्रम
वैरी गुड मगर
में तो मजाक कर रहा था
मैं तुझे छोड़कर
कही नहीं जाने वाला
तेरे पास विद्या है
में तेरी पीठ पर सवार हूँ
इसलिए मैं विद्यापीठ हूं
यह कहकर बेताल
ही ही ही करते हुए
शून्य की ओर उड़ गया
और गायब हो गया
विक्रम के मुख से
स्वतः निकला
इसकी भेड़ की…..