शुक्रिया
आपने पहल कर दी है
मेहमान बना कर हमको
आवभगत ऐसी दी है कि
रूह तक जीत ली है
कहते हैं कि दिल का रास्ता
पेट से होकर जाता है
दिल जीतना आपको
बखूबी जनाब आता है
तारीफ़ करना तो लाज़मी है
आपने पहल कर दी है
मेहमान बना कर हमको
आवभगत ऐसी दी है कि
रूह तक जीत ली है
ज़माना ऐसा है कि कोई
किसी को नहीं बुलाता है
इतना सम्मान दिया है कि
दिल गदगद हो जाता है
दिल में बिठाकर आपने
जगह दिल में बना ली है
आपने पहल कर दी है
मेहमान बना कर हमको
आवभगत ऐसी दी है कि
रूह तक जीत ली है
इतनी मोहब्बत के शायद
काबिल हम नहीं हैं
आपके सत्कार की यादें
दिल में समां गयी हैं
कहना बहुत कुछ है मगर
कहने को शब्द नहीं हैं
आपने पहल कर दी है
मेहमान बना कर हमको
आवभगत ऐसी दी है कि
रूह तक जीत ली है
भेजे में लोचा
हम घुटनों पे चलते थे
भेजे से सोचा करते
दुनिया भर की बातें
इस डब्बे में भर लेते
पैरों पर जब चलते थे
घुटने बोझ मरते थे
ज़रा दूर चलने पर ही
हमें जवाब दे देते
घुट घुट कर यूँ जीना
हमको रास न आया
दवा दर्द की करने को
किसी ने इलाज़ बताया
भेजे से चलना सीखो
घुटनों से अब सोचना
घुटने भी दुरुस्त रहेंगे
सब ठीक होगा देखना
हमने सलाह मान कर
खुद पर आज़माया
घुटनों से सोचने लगे
और भेजे को चलाया
यकीन मानो दर्द पर
सौफ़ीसदी असर हुआ है
बॉडी में अनुशासन है
दर्द में आराम मिला है
जब से दिमाग चलाया है
और घुटनों से सोचा है
न घुटनों में दर्द है
न भेजे में लोचा है
महबूब के सपने
रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर जो देखा
वक्त रात का था हर ओर पसरा अँधेरा
मैंने नज़र दौड़ाई तो चाँद नज़र आ गया
बिछड़ा गया था कभी आज याद आ गया
मैंने कहा चलो हम फिर से मिल लेते हैं
पहले नहीं हो पाया अब शादी कर लेते हैं
उसकी रजामंदी हुई और हम एक हो गए
सपने के सपने में कई सपने देख लिए
शादी हुई जब कुछ दिन सब ठीक चला
मोहब्बत में हमारी महीनों ना चाँद ढला
फिर वो शुरू हुआ जो होता है मेरे भाई
रोज़ की खिट पिट होती हर दिन लड़ाई
तू तू और मैं मैं बरतन भांडे झाड़ु पोछा
आटा दाल चावल ऑफिस का लोचा
तंग आ गया मैं इस तरह फिर जिंदगी से
घबरा कर मैं उठ गया यारो गहरी नींद से
रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर जो देखा
चांद ने मुझको देखा और जोर से हंसा
बोला एक तो निपट दूजी करने चला है
महबूब बन जाए बीवी ये सपना बुरा है
सपने में महबूब हो महबूब के हों सपने
हकीकत की तराज़ू में मत तोलो सपने
खुल गयी खुल गयी
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
सुन्दर सुन्दर सपनों के
ताज़ा ताज़ा जूस की दूकान
हरे हरे सपनों से बने
मनभावन जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
मन मयूर को नाच नचा दे
सपनों को दे नयी उड़ान
अदरक नीबू पोदीना युक्त
जूस करे बूढ़े को जवान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
दूर देस जाकर के हम
मीठे सपने लाते हैं
चाँद तारों के पार जहाँ के
भी उस पार से लाते हैं
एक तो पीकर देखो
कहाँ जाते हो श्रीमान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
सपनों धोकर चुनकर
हम दूकान पर लाते हैं
बड़े प्यार से जूस इनका
आप तक हम पहुंचाते हैं
आओ आओ सब पियो
सबकी है अपनी दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
एक पे न रुक पाओगे
ऐसा गिलास मिलेगा
मीठा खट्टा नमकीन
तुमको स्वाद मिलेगा
छोटा बड़ा या मीडियम
कौन सा दूँ मेरी जान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
जीवन है ज्यों तीखी चाट
मीठे होते हैं सपने
दिल बैठ सा जाता है
धोखा दे जाते जब अपने
रूह ठंडी कर देगा
वादा है भाई जान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
खुल गयी खुल गयी जूस की दूकान
खुल गयी खुल गयी खुल गयी है
सपनों के जूस की दूकान
जीवन खेला सांप सीढ़ी का
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
पान तम्बाकू न बीड़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
चाल चलो या न चलो
कोई और चाल चल देगा
तुमको बढ़ता देखकर
सांप कोई डस लेगा
यही बेहतर है बाबू
जग की चाल समझ लो
हो सके तो जल्दी जल्दी
सीढ़ी कोई पकड़ लो
ये सवाल नहीं तुम्हारा
मसला कुल पीढ़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
पान तम्बाकू न बीड़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
इक्कीस की सीढ़ी पकड़ो
सीधे बियासी पर कूदोगे
ऐसा न कर पाए गर तुम
साँपों में जा उलझोगे
सतानवे पर बैठा है
एक अजगर घात लगाए
निगल जाए जो किसी को
सताईस पर जा गिरे
दौलत वालों की दुनिया में
फटा हाल गरीबी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
पान तम्बाकू न बीड़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
आखिर जीत होती शातिर की
वो हर जुगाड़ कर लेता है
सच्चे की चाल कछुए की
किस्मत के भरोसे रहता है
मंज़िल की परवाह छोड़
तुम चालें चलते जाओ
लहर कभी तो आएगी
किनारे तक तो जाओ
बैठे रहने से क्या हासिल
बैठना काम फकीरी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
पान तम्बाकू न बीड़ी का है
जीवन खेला सांप सीढ़ी का है
हमसे कह दो
नई नहीं ये मुलाकात है
रस्मे आदाब न रखो
खुल के मिलो हमसे तुम
कोई हिज़ाब न रखो
है दिल में जो कोई बात
बेशक हमसे कह दो
तहज़ीब का दायरा रोकें
फिर भी चुप न रहो
पहले आप पहले आप
ये हिसाब न रखो
नई नहीं ये मुलाकात है
रस्मे आदाब न रखो
खुल के मिलो हमसे तुम
कोई हिज़ाब न रखो
मैंने देखा है तुमको
कुछ सोचने लगते हो
दिल में होता है कुछ
कुछ और कह देते हो
कोई तकल्लुफ हमसे
जनाब न रखो
नई नहीं ये मुलाकात है
रस्मे आदाब न रखो
खुल के मिलो हमसे तुम
कोई हिज़ाब न रखो
एक रोज़
एक रोज़ जब रिटायर हो जाऊंगा मैं
पहले तो खुद को होश में लाऊंगा मैं
दशकों गुलामी की जो आदत लगी है
उस आदत से छुटकारा पाऊंगा मैं
एक रोज़ जब रिटायर हो जाऊंगा मैं
घड़ी के काटों से डरता हूँ मैं अभी
कच्ची नींद से उठ जाता हूँ मैं अभी
सोम से शुक्र के पिंजरे का परिंदा हूँ
तोड़ कर पिंजरा अब उड़ जाऊँगा मैं
एक रोज़ जब रिटायर हो जाऊंगा मैं
चालीस सालों का वनवास गुज़ारा है
घर से दूर रहा अज्ञातवास गुज़ारा है
खुद के लिए कभी फुर्सत नहीं मिली
वक्त अब मेरा है सबको बताऊंगा मैं
एक रोज़ जब रिटायर हो जाऊंगा मैं
दिन आज़ादी के अब बिताऊंगा मैं
पंख जो टूटे हैं उनको फैलाऊंगा मैं
खुली हवा में गहरी अब सांस लूंगा
sair
एक रोज़ जब रिटायर हो जाऊंगा मैं
दिन हमारा है
खिली खिली सी सुबह में
खिला खिला सा मेरा मन
मंद हवा के झोंकों से
इठलाते उपवन में सुमन
अँधेरे से लड़ते झगड़ते
रौशनी बिखराती किरणे
उम्मीद जगाती पूर्ण करें
सपने देखे जो हमने
रोज़ शाम थका देती है
सुबह जीवन भर देती है
हर मुंह को दाना देने
दिनचर्या चल देती है
उसकी मर्ज़ी के बिना
एक श्वास संभव नहीं
दिन है तोहफा उसका
हम यह बिसराएँ नहीं
दिन ये हमारा है आओ
लिख डालें ताबीर नयी
मानव हैं हम मानव के
मानस का कर्त्तव्य यही
खिली खिली सी सुबह में
खिला खिला सा मेरा मन
मंद हवा के झोंकों से
इठलाते उपवन में सुमन
तर बतर
सावन में बारिश का देखो कहर
सूरज बैठा घर बादलों से छिपकर
काले बादलों ने लगाया था डेरा
पहरा तगड़ा था मज़बूत घेरा
परिंदा भी न मार पाता था पर
बारिश होती रहती चारों पहर
सावन में बारिश का देखो कहर
घर ज़मीन मैदां पानी से तर बतर
सूरज ने की हिमाकत एक दोपहर
पहरा ढीला देख झाँका ज़मीन पर
ढक लिया बादलों ने लात लगाई
भागा तब वो पाँव रखकर सर पर
सावन में बारिश का देखो कहर
सूरज को मिली कैद सप्ताह भर
भारी बारिश से मचाया फिर कहर
सूरज को छुट्टी देकर बिठाया घर
की जी भर धमाचौकड़ी ज़मीन पर
पानी ही पानी था जहाँ जाती नज़र
सावन में बारिश का देखो कहर
घर ज़मीन मैदां पानी से तर बतर
सावन में बारिश का ऐसा कहर
पहले प्यार का ब्रेकअप
दिल से नहीं जाती है खतरनाक पाद की बदबू
निकल गया जब कहना था गर्लफ्रेंड से
आई लव यू आई लव यू आई लव यू
मौका था माहौल था दस्तूर था एक फूल था
दिल की कहनी थी उससे मौसम भी कूल था
मैंने हाथ उसका माँगा तो हो गया हंगामा
आई आवाज़ ज़ोर से ठिश ठिश ठूँ ठूँ ठूँ
दिल से नहीं जाती है खतरनाक पाद की बदबू
निकल गया जब कहना था गर्लफ्रेंड से
आई लव यू आई लव यू आई लव यू
मेरे हंगामे पे शरमाई हुई गुस्सा फिर मुस्काई
पैर पटक वो चल दी पीछे भगा मैं जल्दी जल्दी
कंट्रोल हुआ न फिर से फिर से बजा पूं पूं पूं
इससे पहले की मैं कह पाटा मैं सॉरी हूँ
दिल से नहीं जाती है खतरनाक पाद की बदबू
निकल गया जब कहना था गर्लफ्रेंड से
आई लव यू आई लव यू आई लव यू
कह नहीं पाया अलबत्ता ये भी कि मैं सॉरी हूँ
उसने गुस्से में मुझको घूरा मेरा खून सुख गया पूरा
एहसान मुझपे तुम करना दोबारा कभी नहीं मिलना
तमीज नहीं बिलकुल भी तुमको आई हेट यू
हुआ मेरे पहले प्यार का ब्रेकअप यूँ क्या कहूं
दिल से नहीं जाती है खतरनाक पाद की बदबू
निकल गया जब कहना था गर्लफ्रेंड से
आई लव यू आई लव यू आई लव यू
कह नहीं पाया अलबत्ता ये भी कि मैं सॉरी हूँ
सोच रहा हूँ बैठा मैं क्या पहला वो इंसान हूँ
कण्ट्रोल में नहीं तो फिर क्यों नफरत का सामान हूँ
सदियों की रवायत पाद इंसान का उत्पाद है
निकल जाए तो हवा और इंसां दोनों ही आज़ाद हैं
आखिर मेरी ही मजबूरी से नफरत है क्यूँ
सुनना पड़ा मुझको क्या सुनना था जब आई लव यू
हुआ पहले प्यार का ब्रेकअप यूँ मैं क्या करूँ
पा पा पीं पीं पुं पुं पुं पूं पूं