गयी भैंस पानी में

दो कुत्ते आपस में हँसते हँसते जाते थे
पीछे मालकिन डंडा लेकर आती थी
कुत्ते हँसते कि मालिकिन को घुमाते हैं
मालकिन खुश कि कुत्तों को घुमाती थी

खेल घुमाने का और डंडे का दोस्तो
अद्भुत है पर समझ नहीं आता है
डंडे वाला खुश है कि मालिक वो है
पता नहीं मगर कौन किसे घुमाता है

पुलिस के डंडे पर जो चोर घुमाता है
जेल से बाहर वो पुलिस को घुमाता है
अफसर के डंडे पर घूमे मुलाज़िम
झूठ बोलकर अफसर को घुमाता है

बीवी के नखरों पर घूमता है शौहर
हज़ार बहानों से बीवी को घुमाता है
चुनाव से पहले जो घर घर घूमता है
जीतने पर वही जनता को घुमाता है

डंडा जो झूमे तो घूमता हर कोई
लाठी जिसके हाथ भैंस घुमाता है
भैंस अगरचे उतर जाए पानी में
फिर देखो किसको कौन घुमाता है

बिगड़ी बात

तीखी बात का तीर चला
दृष्टिकोण को बेध गया
विचारों के समंदर में
झांझावत सा उठ गया

हलचल तल तक पहुंची
क्रोध विकार घुलने लगा
रक्त प्रदूषित हुआ
खून का दौरा तेज़ हुआ

सांस उखड़ने लगी
जोर से दिल धड़कने लगा
सद्विचार हुए मलिन
मस्तिष्क बागी हो गया

कड़वी बात से बाँध सब्र का
तिनके जैसा बह गया
सामने वाला भी चकित
जिह्वा से क्या निकल गया

हुई आंख लाल नथुने फुले
त्यौरी अम्बर छूने लगी
हाथ पैर असमंजस में
करे क्या और क्या नहीं

बिजली कोंधी तभी एक
मश्तिश्क से.ऑर्डर हुआ
हाथ पैरो ने दे चटाक
लात और झापड़ जड़ दिया

लज्जित फिरता है शरीर
आंख मिला नहीं पाता है
फेर कर मुंह निकल जाता है
जब सामना हो जाता है

शब्द तीर बड़े घातक हैं
रखिये इनमें महारथ जी
बात बने तो रामायण है
बिगड़ी बात महाभारत जी

डबल ऍमए

इस बार रेलगाड़ी में हमें कुछ फन्नी नहीं मिला
देखते रहे सब जगह मगर कुछ भी नहीं मिला

अब क्या लिखें सोच रहे थे लगी थी उधेड़बुन
याद आयी फिर एक कहानी तू सुन या न सुन

परदीप सिंह पनेसर रामगढ़िया
कहते थे वो कहानी बहुत बढ़िया
एक कहानी थी उनकी डबल ऍमए
जिसमें किरदार दो बार पढ़ी ऍमए

पहली बार करी तो एक्सीडेंट हो गया
याद्दाश्त वो अपनी इस कारण भूल गया

डॉक्टरों के इलाज़ बात न बन पायी
स्कूल में घरवालों ने फिर से भर्ती करवाई

पढ़ते पढ़ते दोबारा वह कॉलेज तक गया
दोबारा होशियार बालक ऍमए कर गया

कॉलेज से बहार जैसे डिग्री लेकर आया
साइड से आती तेज गाड़ी से टकराया

सर में लगी चोट इलाज़ हॉस्पिटल में साईं
सर्जरी हुई दोनों याद्दाश्त वापस उसने पायीं

दोनों याददाश्त वापस आयीं चमत्कार हो गया
इस तरह से पप्पू अपना डबल ऍमए हो गया

इत्ती सी चिड़िया

बच्ची कहती है माँ से
गलबहियाँ लपेट कर
बाबा किसी से कह रहे थे
जब जाते थे खेत पर

अब पछताए का होत जब
चिड़ियाँ चुग गयी है खेत
छोटी चिड़िया का है माँ
क्या इत्ता बड़ा सा पेट
कि उस पर दोष लगा है
पूरा खा गयी है खेत

इंसां जो पूरी की पूरी
चिड़िया खा जाता है
कोई आखिर उस पर
क्यों नहीं दोष लगाता है

चिड़िया तो छोटी सी है
खा लेती है कुछ दाने
कुछ ले जाती बच्चों की
खातिर जो नहीं सयाने

क्या इतना भी हक़ नहीं
कि खा सकें वे भरपेट
इत्ती सी चिड़िया कैसे
खा सकती है पूरा खेत

ये क्या माज़रा है

कुछ दिनों से दिल का मिज़ाज़
हमें समझ नहीं आता है
भटकता रहता था अब जहाँ
जाता है रम जाता है

क्या ख्याल है क्या यह
बढ़ती उम्र का तकाज़ा है
आप क्या कहते हो आखिर
ये क्या माज़रा है

कितनी तितलियाँ पकड़ीं
हमने जाने कितनी छोड़ीं
सबसे दिल लगाया की
मोहब्बत थोड़ी थोड़ी
एक अदद तितली के संग
बस जाने को जी चाहता है

कुछ दिनों से दिल का मिज़ाज़
हमें समझ नहीं आता है
भटकता रहता था अब जहाँ
जाता है रम जाता है

क्या ख्याल है क्या यह
बढ़ती उम्र का तकाज़ा है
आप क्या कहते हो आखिर
ये क्या माज़रा है

नियम कायदे कहाँ ये सब
अपने लिए होते थे
रात को थे करते हुड़दंग
दिन में तानकर सोते थे
खाना पीना यारों के संग
मस्तियाँ करना
सब छूटने लगा है दिल
अब ठहरना चाहता है

कुछ दिनों से दिल का मिज़ाज़
हमें समझ नहीं आता है
भटकता रहता था अब जहाँ
जाता है रम जाता है

क्या ख्याल है क्या यह
बढ़ती उम्र का तकाज़ा है
आप क्या कहते हो आखिर
ये क्या माज़रा है

छोटी छोटी बातों पर हम
लड़ जाय करते थे
अच्छे अच्छों से बाबू
अकड़ जाया करते थे
अब जाने देते हैं गुस्सा
अब कम ही आता है

कुछ दिनों से दिल का मिज़ाज़
हमें समझ नहीं आता है
भटकता रहता था अब जहाँ
जाता है रम जाता है

क्या ख्याल है क्या यह
बढ़ती उम्र का तकाज़ा है
आप क्या कहते हो आखिर
ये क्या माज़रा है

मेहमान हो या जिन्न

बुलाते थे जब पहले
तो आते नहीं थे तुम
आना तो दूर फ़ोन
उठाते नहीं थे तुम

अब आये तो बस गए हो
घर में हो गए कितने दिन
यह तो बताओ आखिर
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न

मेहमान नवाज़ी का
कोई दस्तूर होता है
दो चार दिन को आये
तो मंज़ूर होता है
आपने तो डेरा जनाब
लगा लिया है लेकिन
यह तो बताओ आखिर
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न

घर का सारा राशन
सौंप दिया हमने
बजट पुरे महीने का
नोच दिया तुमने
सोचते हैं क्या खाएंगे
महीने के बाकी दिन
यह तो बताओ आखिर
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न

जिन्न चिराग में वापस
जंतर से चला जाता है
आप नहीं जाते तंत्र
फ़ैल हुआ जाता है
कब चिराग में वापस
लौटोगे प्यारे जिन्न
यह तो बताओ आखिर
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न

जाओ भी क्यों बस गए हो
घर में हो गए कितने दिन
बेशरम बन गए हो
निकाले जाओगे किसी दिन
यह तो बताओ आखिर
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न
मेहमान हो या जिन्न

भूख का दानव

माँ सोई थी बच्चे ने जगाया
माँ मुझको है भूख लगी
माँ ने झटक दिया उसको
सुबह की नींद बड़ी गहरी

सुबह लगी थी होने भूख से
जागने का अब समय हुआ
बच्चा जगा रहा माँ को
सहमा सहमा डरता डरता

माँ और बच्चा जब जग गए तो
पूंछ हिलाकर पिता उठा
खींच एक अंगड़ाई ली और
खतरे को उसने सूँघा

बच्चा चंचल खेलने भागा
माँ उसके पीछे दौड़ी
सोचकर किअभी छोटा है
चोट न लग जाए कहीं

पिता सूंघते सूँघते आकर
बड़ी सड़क पर फ्रेश हुआ
माँ बच्चे को साथ देख कर
मन ही मन संतुष्ट हुआ

भूख लगी थी तीनों एक
घर के आगे जमा हुए
किसी भलेमानस से खाना
मिल जाने की आस लिए

एहसास था शायद फरिश्ता
घर से बाहर आएगा
उनकी और बाकी कुत्तों की
भूख शांत करवायेगा

आस में यारो लार टपकती
पुंछः स्वयं हिल जाती है
समय पे जो काम आ जाये
उसे स्वामीभक्ति मिल जाती है

निकला भलामानस घर से
सब कुत्ते पीछे चल दिये
भूख के दानव का वध करने
संग अपना अवतार लिए

आँखों में थी चमक गजब
उत्साह देखते बनता था
पूंछ नाचती लार टपकती
पुर्जा पुर्जा हिलता था

जितना मारो भूख का दानव
फिर जीवित हो जाता है
पेट में रहकर तीनों पहर
यह कोहराम मचाता है

गोरी की मटकी

गोरी की मटकी गई है फूट
कौन विधि पानी भरकर लावे
रोवै गोरी ऊँट प्यासा
पानी कौन पिलावे

चटक मटक मटकी गोरी की
मटक मटक चलती थी गोरी
फूटी मटकी गोरी अटकी
नई मटकी कैसे आवे
गोरी की सोलाहों गई फुट
कोई उपाय नहीं सुझावे

गोरी की मटकी गई है फूट
कौन विधि पानी भरकर लावे
रोवै गोरी ऊँट प्यासा
पानी कौन पिलावे

पटक पटक सर गोरी रोवे
झटक झटक रस्सी ऊँट तोड़े
गोरी देखती बाट हाट की
ऊंट की पीठ पे बैठ के जावे
चटकीली मटकीली मटकी
हाट से ले के आवे

गोरी की मटकी गई है फूट
कौन विधि पानी भरकर लावे
रोवै गोरी ऊँट प्यासा
पानी कौन पिलावे

मैं हूँ दिल फेंक

मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक

कहीं भी दिख जाये जली अंगीठी
रोटी देता हूँ सेंक

मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक

किसी के साथ भी मैं अपना मैं चक्कर चला लेता हूँ
मन ही मन कोई कहानी मैं खुद की बना लेता हूँ
अरे वो जाती है बगल से
एक और ज़रा देख

मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक

हर चिड़िया पर निशाना हिट एंड ट्राई करता हूँ
खर्चा मैं नहीं करता एफर्ट ड्राई करता हूँ
बात बन जाए तो ठीक वर्ना
अपना रास्ता देख

मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक

ऐसा नहीं है की बात हमेशा बनती बिगड़ी न हो
इम्पॉसिबल है कि लात कभी पड़ी ही न हो
हर गाडी पर लेकिन मैं अपना
कचरा देता हूँ फेंक

मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक
मैं हूँ दिल फेंक

शिकायत

ज़िन्दगी में कुछ मिला ख़ास नहीं
हर चीज़ हमको कम ही मिली है
पानी कम मिला चीनी भी कम
रोटी किसी तरह चल रही है

कुछ दिनों से थी तकलीफ पैर में
चलने में भी कुछ परेशानी थी
जाकर डॉक्टर को जो दिखाया
किया एक्सरे रिपोर्ट में आया
आई खून की कमी और कहा
कि पाँव की हड्डी बढ़ गयी है

हर बात में थे अब तक कम
क्या कहें शिकायत करें
या करे उपरवाले का शुक्रिया
ज्यादा मांगा था क्या भगवन्
बढाकर दे दिया हमको क्या

जब से बात सुनी डॉक्टर की
अब बहुत सी चीज़ें बढ़ गयी हैं
शुगर बढ़ गयी बी पी बढ़ा है
चिंता अपनी और बढ़ गयी है

जब बढ़ते हैं ज़िन्दगी में
ज़रूरतें कम पद जातीं हैं
घटने लगे जब ज़िन्दगी
हर तकलीफ बढ़ जाती है

जो मांगोगे नहीं मिलेगा
जो नहीं माँगा सब मिलेगा
हमको ज़माना कहे चाहे दीवाना
हम तो शिकायत करेगा
हम तो शिकायत करेगा