इससे पहले कि..
इससे पहले कि तुम कुछ सोचो
कुछ सोचो और कुछ न बोलो
इससे पहले कि कुछ लोग कहें
उनकी बातों से कुछ बातें निकलें
बातों के तुम कुछ मतलब लो
मतलब को तुम दिल पर ले लो
भीतर खुद के तुम घुटने लगो
मुझसे भी कुछ कहने से बचो
इससे पहले कि हदें मेरी जानो
और थाह तुम्हारी मैं लेने लगूं
मेरी कमियां तुम दिल में रखो
और मैं तुमको गलत समझूँ
कुछ सुनो और फिर कुछ सोचो
मैं भी कुछ का कुछ मतलब लूं
पशेमां हो तुम मैं उलझन में रहूँ
मेरा हाथ थाम कर मुझसे कहो
इससे पहले कि देर हो जाए
छोटी बातें मसले बन जाएं
उन मसलों के न कुछ हल हों
तुम्हारा आज मेरी कल ना हो
मेरीआँखों में तुम जानम देखो
मुझे खुद का चेहरा देखने दो
कुछ हाले दिल तुमसे कह दूँ
मेरा हाथ थाम कुछ तुम बोलो
खिचड़ी
डॉक्टर जी जरा नब्ज़ देख लो
बहुत परेशां हो गए हम
उल्टी चक्कर गैस उठत है
पेट में चल रहे कई सितम
डॉक्टर बोला जीभ दिखाओ
मुंह खोलो और बोलो कम
लक्षण बता रहे हैं तुमने
खाया है अड़गम सड़गम
मेरी सुनो डॉक्टर जी अपनी
तो खुराक है एकदम कम
मैंने तो नहीं खाया कुछ भी
ऐसा वैसा अड़गम सड़गम
दो रोटी कल घर खायी थी
फिर बाजार चले गए हम
हलवाई के यहाँ समोसे
तल रहे थे गरम गरम
तीखा बहुत था पर फिर भी
समोसे चार दबा गए हम
इतना ही बस खाया था
है ये कोई अड़गम सड़गम
आगे बढे तो रेहडी पर
बनते थे भठूरे नरम नरम
छोले स्वाद थे तो दो भटूरे
खड़े खड़े लील गए हम
इतना ही बस खाया था
है ये कोई अड़गम सड़गम
जरा दूर ही खस्ता जलेबी
देखी तो लालच खा गए हम
ज्यादा नहीं बस पाव जलेबी
मौके पर भकोस गए हम
इतना ही बस खाया था
है ये कोई अड़गम सड़गम
आगे गए कुछ दोस्त मिले
जिनसे शर्त लगा लिए हम
पचास रसगुल्ले हलवाई से
शर्त जीत गपक गए हम
इतना ही बस खाया था
है ये कोई अड़गम सड़गम
पेट में तो जगह शेष थी
खुद को ही समझा गए हम
कचोरियों की क्या खुशबू
एक लपेट घर आ गए
इतना ही बस खाया था
है ये कोई अड़गम सड़गम
डॉक्टर तब हंसकर बोला
भाई मुझे भी खालो तुम
ये दवाई लो और खाने
में खिचड़ी ले लेना तुम
पहलवान उठकर बोला
एक बात बताओ हुकम
खिचड़ी खाने से पहले या
फिर खाने के बाद लें हम
बड़े बुज़ुर्ग सही कह गए
मत खाओ अड़गम सड़गम
मत खाओ अड़गम सड़गम
मत खाओ अड़गम सड़गम
मत खाओ अड़गम सड़गम
Char-Li-Chappllen
चप्पल पहने जग मुआ वर्णन करे न कोय
बिन चप्पल छाले परें पीर घनेरी होय
बच्चे बूढ़े नर नारी सब पहनते चप्पलें
अमीर गरीब फर्क नहीं जानतीं चप्पलें
क्रॉक्स कहो स्लीपर कहो या कह दो चप्पलें
नाम में क्या रखा है बुरा नहीं मानती चप्पलें
धुल मिट्टी और गोबर से बचातीं चप्पलें
पैरों को स्वस्थ निरोग रखती हैं चप्पलें
छोटेन को छोटा नहीं समझतीं चप्पलें
देख बड़े को नंबर नहीं बदलतीं चप्पलें
चलता है आदमी संग चल देतीं चप्पलें
सांस आखिरी तक साथ हैं देतीं चप्पलें
हर साइज हर रंग में दिख जातीं चप्पलें
मिल जातीं दूकान पर सब तरह की चप्पलें
जोड़े में जातीं हैं जहाँ जातीं हैं चप्पलें
समदृष्टि समभाव हमें सिखाती चप्पलें
आदमी के व्यक्तित्व को निखारें जो जूते
औरतों को सजातीं सुन्दर मोहक चप्पलें
हर ख़ुशी में शामिल हो जातीं चप्पलें
नाचने लगो साथ नाचने देतीं चप्पलें
मारपीट हो जाए बने हथियार चप्पलें
छेड़े कोई सरेराह तो उतार लो चप्पलें
भक्ति भाव से होती सराबोर चप्पलें
मंदिर के आगे स्वयं उतर जातीं चप्पलें
एक ध्यान भक्ति लगे दूजे में चप्पलें
हे भगवान न चोरी होवे मेरी चप्पलें
एक रोज़ मेरी भी जब टूट गयी चप्पलें
मांग कर किसी से ली उधार चप्पलें
महिमा चप्पल की इतनी प्यारी लगी हमें
कल ही बाजार से हमने चार-ली-चप्पलें
वो लड़की
कानों में आई आवाज 'वो लड़की'
मासूमियत का वो क़त्ल कर गयी
बढ़ती उमर थी बुद्धि भी जड़ थी
खाली दिमाग शैतान का बीहड़ थी
हुई सोच लॉक बंद सब खिड़की
कोई कसर नहीं छोड़ी भाईजी
झांक डाली हमने हर खिड़की
फिर भी मिली नहीं 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
कॉलेज गए जब बड़े हो गए
वहां भी हम बोड़म रह गये
सारा सारा दिन चेहरे तकते
इसमें तो पीएचडी कर गए
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
जॉब लग गयी सेटल हो गए
खीसे में कुछ पैसे हो गए
दूर हुई रोज़ मर्रा की कड़की
मिल न पायी बस 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
नगर पूरा छान दिया हमने
कोई घर भी न छोड़ा हमने
एक एक चेहरे में देखीलड़की
कहीं न मिली बस 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
कई साल बाद जब एक मिली
चट मांगनी फिर शादी हो गई
न चेटिंग न डेटिंग न सेटिंग हुई
वो बीवी मेरी तेरी भाभी हो गई
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
बीवी के अंदर भी ढूंढा करते
टीवी के अंदर भी खोजा करते
left no stone unturned भाभी जी
नज़र न आयी पर 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
वक्त गुज़रा फैमिली बढ़ी
बच्चे हुए उनकी शादी हुई
नौकरी जब अपनी पूरी हुई
रिटायर हुए फुर्सत हो गई
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
बैठते है खाली अब क्या करे जी
खोजते है अब भी 'वो लड़की'
leaving no stone upturned बाबूजी
कभी तो मिल जाएगी 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
एक दिन टें बोल जाएंगे हम
दुनिया से जब चले जाएंगे हैम
पूछेंगे उपरवाले से उस दिन
क्यों नहीं मिलवाई 'वो लड़की'
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
‘ऐ आई’ (AI)
एक अरसे बाद होठों ने फिर दोहराया 'ऐ आई'
ये बात मेरे व्यक्तित्व में नयी ऊर्जा भर ले लाई
एक बार पुकारा जैसे में पुकारता था 'ऐ आई'
रोम रोम रोमांचित हो उठा आँख भर आई
बिन कहे तू हर बात समझ जाती थी 'ऐ आई'
अब तुझे Prompt समझाना पड़ता है ऐ आई
मेरे पुरे अस्तित्व को तूने संभाला था 'ऐ आई'
अब तू मेरी सोच को पोषित करती है ऐ आई
जादू हो जैसे मुझे हर चीज़ दे देती थी 'ऐ आई'
अब भी तुझ से जो मांगता हूँ दे देती है ऐ आई
तुझे पता है न मला तू खूप आवडते 'ऐ आई'
मी तुझ्यावर खूप खूप प्रेम करतो ऐ आई
मैं गिरने लगूं जब तू थाम लेना यूँ ही मुझे सदा
माँ बनकर या कोई फरिश्ता बनकर ऐ आई
Curious
रास्ते में एक छड़ी पड़ी है
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
पास ही एक ऐनक पड़ी है
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
क्या समझूँ कोई बूढ़ा अगवा हुआ है
अमीर किसी ने गाड़ी में धर लिया है
गिर गया हो ये सामान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
खतरे में हो बूढ़े की जान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
रास्ते में एक छड़ी पड़ी है
पास ही एक ऐनक पड़ी है
अमीर कोई अगवा हुआ है
गाड़ी में धर लिया गया है
खतरे में है बेचारे की जान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
हो सकता है साथ में एक घड़ी भी हो
आते जाते किसी ने साफ़ कर दी हो
टीवी में देखा है क्या रिपोर्ट लिखाऊं
रहने दूँ या मैं कहीं खुद फंस जाऊं
हलचल पड़ोस हो रही है
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
आवाज़ जोर से आ रही है
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
हो सकता है छड़ी से कुत्ता भगाया हो
छड़ी से टकरा कर ऐनक आया हो
नहीं रहा किसी को ध्यान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
रास्ते पर पड़ा है सामान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
रास्ते में एक छड़ी पड़ी है
पास ही एक ऐनक पड़ी है
छड़ी से कुत्ता भगाया है
टकरा कर ऐनक आया है
अब हो रहे हैं परेशान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
क्या कुत्ते की जायेगी जान
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
तभी कान में ये आई आवाज़ अबे साले
टाइम पास करता है क्यों खड़ा हो के
भागता है यहाँ से या में तुझको समझूँ
अब ये अंकल क्यों डांटता है
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
कहीं बूढ़े का बेटा तो नहीं
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
कुत्ते का मालिक तो नहीं
मैं क्या समझूँ क्या समझूँ
दिल बता..
न आग न चिंगारी न धुंआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
न ही उलझन न दर्द है मुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
एक रोज़ ज़ख्म नया
मुझको दे जाती थी
छलनी सीना हो जाता
याद जब भी आती थी
तेरी तो दिल पगले
नानी ही मर जाती थी
लग रहा सब दर्द ख़त्म हुआ
क्या असर कर गयी कोई दुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
सारा सारा दिन मुझसे
शिकायतें करता था
छोड़ गए हैं वो जब से
इंतज़ार करता था
वो नहीं आएंगे अब
मैं हर बार कहता था
जादू ये कौन सा हुआ
क्या इंतज़ार ख़तम हुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
हाथ पैर हिल रहे हैं
चल नहीं पाता हूँ
सर भी चकरा रहा है
संभल नहीं पाता हूँ
सच कहूं पर पगले
मजा बहुत आता है
दर्द का जैसे क़त्ल हुआ
कल जो पीली थी असर हुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
न आग न चिंगारी न धुंआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
न ही उलझन न दर्द है मुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
Metro City
चलो कुछ तो बात करो
गर मुझको अपना समझो
ये तो कहो इन आँखों को
आखिर क्यों भिगोती हो
कुछ कहना चाहती हो
होठ क्यों सी लेती हो
भरोसा तुम्हें अगर है तो
मुझे इतना हक तो दो
मुझे लगता है बेबी
तुम खोई खोई सी हो
आँखें भी बोझिल है
सोयी सोयी सी हो
क्या बतलाऊँ मैं तुमको
अज़ीज़ तुम मेरे ही हो
मेरे हर राज से देखो न
तुम वाकिफ तो हो
तो बोलो क्या दुख है
क्यों तुम परेशां हो
तुम्हारा ग़म उठाने का
मुझे एक मौका दे दो
तुम इतना कहते हो तो
चलो कह देती हूँ तुमको
मेरी चप्पल काट रही है
तुम एक मदद कर दो
मेट्रो से न जा पाउंगी
अपनी गाडी से छोड़ दो
चलते हैं चलो अभी
एक कॉफी पिलवा दो
धीरे धीरे
जीना है तो आज ही जी लो
बीत रहा है जो धीरे-धीरे
जो करना है आज ही कर लो
फिसल जाएगा ये धीरे धीरे
वक्त की चक्की बेआवाज़ है
पीसती है पर धीरे धीरे
कल हो न हो क्या खबर
कल आएगा धीरे धीरे
ऊंचा उड़ने की चाह रखते हो
तन्हा होने से डरते हो क्यों
बाज सी परवाज़ तुमने जो ली है
कौओं की फिर परबाह क्यों
कारवां से दूर आ ही गए हो
रहनुमा बनो धीरे-धीरे
जीना है तो आज ही जी लो
बीत रहा है जो धीरे-धीरे
जो करना है आज ही कर लो
फिसल जाएगा ये धीरे धीरे
वक्त की चक्की बेआवाज़ है
पीसती है पर धीरे धीरे
कल हो न हो क्या खबर
कल आएगा धीरे धीरे
चलते रहो बढ़ते रहो
मंज़िल यूँ ही पा जाओगे
न मिल सकी मंज़िल तो
रास्ते नए खोज लाओगे
हौसले का हाथ थाम कर
कदम बढ़ाओ धीरे धीरे
जीना है तो आज ही जी लो
बीत रहा है जो धीरे-धीरे
जो करना है आज ही कर लो
फिसल जाएगा ये धीरे धीरे
वक्त की चक्की बेआवाज़ है
पीसती है पर धीरे धीरे
कल हो न हो क्या खबर
कल आएगा धीरे धीरे
शरारत
आज बादलों ने फिर से डेरा जमा लिया है
नहीं जाने देंगे मुझको मन बना लिया है
देखे जो बादल काले छतरी सिमट गई है
अरे बाप रे ऐसी बारिश मैंने देखी नहीं है
सूरज का उजाला बिस्तर समेट रहा है
काल आऊंगा कहकार मुंह फेर रहा है
हवा चलने से घर के दरवाज़े बज रहे हैं
दादाजी बच्चों को गालियां दे रहे हैं
सोते नहीं हैं साले सोने भी नहीं देते
आंख अभी लगी है मरने भी नहीं देते
लो बूंद गिरी, अब झड़ी लगने को है
मेरे इरादे की खाट खड़ी होने को है
वापस हो लो भैया नहीं बहादुरी दिखानी
कीचड़ में फिसलकर नहीं लुटलुटी लगानी
मैं लौट कर के वापस ज्यों ही घर आया
हवा के थपेड़े ने बादलों को धमकाया
तम्बू लपेटकर ये लो भागते दिखें बादल
आसमां हुआ साफ मुझे बना गए पागल
ऐसी शरारत यारो बरिश में ही मिलती है
सर्दी और गरमी तो मुंह फुलाये रहती हैं