क्या तुम्हें याद होगा की कोई इतना तुम्हें चाहता है
दिन रात जागते सोते बस ख्वाब तुम्हारे देखता है
बैठे होते जब संग दोनों सब बात हमारी करते थे
जोड़ी कितनी अच्छी है वे हमें देखकर कहते थे
न तुम कुछ कहती थी तब मैं भी चुप रह जाता था
मन ही मन इन बातों से मन मयूर खिल जाता था
मैं तुमसे कुछ कह न सका हिम्मत नहीं जुटा पाया
तुम मेरे लिए फरिश्ता थी रिश्ता कोई न रख पाया
वो दिन आया जब तुम शहर छोड़ कर जाने लगी
गाडी तुम्हारी धीरे धीरे बड़ी सड़क तक जाने लगी
तुमको शायद पता नहीं है मैं मिलने तुमसे आया था
साइकिल की चेन टूट गयी थी मैं पंहुच न पाया था
एक अरसा हुआ उन बातों को जाने तुम कैसी होगी
भूल गयी होगी मुझको या फिर इंतज़ार करती होगी
आज भी मैंने टूटी चेन वो गाड़ी में रख रखी है
जान सको तुम मैंने एक दुनिया संभाल कर रखी है