जिनको आना था मेरी आवाज़ पर सब आये
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
मैं हमेशा तुझसे दिल से मिला करता था
कि साथ देगा तुझे तकदीर मैं मानता था
मौका दर मौका तू मुझे ज़ख्म देता रहा
पीछे से खंज़र मेरी पीठ में घोंपता रहा
बहुत हुआ धोखे अब और खाऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
तू जो हर बात छुपा जाता था हर बार
सच कहूं तो बुरा बहुत लगता था यार
उस पर भी तुर्रा कि तुझे बुरा न लगे
सोचकर चुप रह जाता था हर बार
फरेब के जाल अब और आऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
तेरा वज़ूद सिर्फ भूली एक कहानी है
है जाम जिसमें वो ज़हरीला पानी है
तू सिर्फ एक खबर है वो भी बुरी
ऐसा मंज़र जिसे कोई सोचता नहीं
ज़ख्म जिसे कभी मैं सहलाऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं
मिट जाए ख़ाक हो जाए जो नसीब तेरा
तेरे ज़नाज़े में भी मैं अब आऊंगा नहीं
तुझे ऐ मेरे यार मैं अब बुलाऊंगा नहीं