जय कमेटी मैया की

मन रे क्यों बेकल होता है
क्यों नहीं कमेटी मैय्या की
शरण तू ले लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

जॉब किया तूने जीवन भर
रहा हो के सब से पराया
फंड ही केवल पास था जब
घर बापिस तू आया
बदल गया संसार था जब
नौकरी कर के आया
सब दुख दूर करेगी मैय्या
क्यों नहीं जतन तू कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

रिश्ते नाते प्यार वफा सब
तुझको कुछ भी न भाया
बंधु पड़ोसी मित्र कोई भी
समय पर काम न आया
गम ना कर जो तूने कमाया
खर्च न तू कर पाया
कमेटी माँ के व्रत में क्यों नहीं
इन्वेस्ट कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

सरल कमेटी माँ का व्रत है
फल अवश्य देती है
नियम करम का ध्यान जो रखता
विश पुरी करती है
कोई चूक जो हो जाये तो
दंड भी दे देती है
किसी भक्त से क्यों नहीं व्रत की
विधि तू समझ लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

पेट काट कर जीने का
रवैया तू बिसरा दे
खाले पीले मज़े उड़ा ले
प्रॉफिट खूब बना ले
नए दोस्त बन जायेंगे क्यों नहीं
ट्राई तू कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

चिटफंड कह लो कमेटी बोलो
चिट्टी या किट्टी कह दो
मालामाल कर देगी
शरण जो उनकी ले लो
रिच लोगों में नाम क्यों नहीं
शामिल कर लेता है
मन रे क्यों बेकल होता है

मन रे क्यों बेकल होता है
क्यों नहीं कमेटी मैय्या की
शरण तू ले लेता है
जय कमेटी मैया की

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