तुम झुठे मैं मक्कार

चलो दोनों बहस करते हैं
आओ हम बहस करते हैं
तीसरे को पकड़ते हैं
और थोड़ा झगड़ते है

दो बातें तुम कहना
दो बातें मैं करूँगा
तुम मेरी सी कहना
मैं तुम्हारी सी कहुंगा

चलो बहास करते हैं
ज्ञान वर्षा करते हैं
तीसरे के इस तरह
हम कान भरते हैं

झुठा यह संसार है
या झूठ का संसार है
सच कायम नहीं रहता
झुठ के पाँव नहीं होते

टाइम पास करते हैं
चलो बहस करते हैं

तुम राम की कहो
मैं रहमान की कहूंं
तुम दीपावली बोलो
मैं रमजान की कहूंगा

तुम झुठे मैं मक्कार
चलो बहस करते हैं
मूर्ख तीसरे को कहते हैं

चलो बहस करते हैं
आओ बहस करते हैं

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