सुबह रात सब गम कायनात
फ़्रस्ट्रेशन चप्पे चप्पे
नयी चाट हो रोज़ खिलाते
तौबा लारे लप्पे
कब तक खाएं हम तेरे
बिन पानी के गोलगप्पे
सेंसिटिव हैं बन्दे हम
एक दम सीधे सच्चे
वादे तुम्हारे झूठे सब
चटनी से मीठे खट्टे
चट करने की ठानी तुम
तब देने लगे हो गच्चे
कब तक खाएं हम तेरे
बिन पानी के गोलगप्पे
रोज़ जगाते नयी प्यास
हर दिन देते नयी आस
गोली चूरन की से मुंह में
पानी आये फर्स्ट क्लास
मिट गए हम तेरे वायदों पे
रह गए हैं हक्के बक्के
कब तक खाएं हम तेरे
बिन पानी के गोलगप्पे
बहुत रायता फ़ैल गया है
कल पर टलते टलते
जो होगा हम सह लेंगे
गिरते पड़ते उठते
कब हो जाने नौ मन तेल’
राधा रानी फिर नच्चे नच्चे
कब तक खाएं हम तेरे
बिन पानी के गोलगप्पे