कानों में आई आवाज ‘वो लड़की’
मासूमियत का वो क़त्ल कर गयी
बढ़ती उमर थी बुद्धि भी जड़ थी
खाली दिमाग शैतान का बीहड़ थी
हुई सोच लॉक बंद सब खिड़की
कोई कसर नहीं छोड़ी भाईजी
झांक डाली हमने हर खिड़की
फिर भी मिली नहीं ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
कॉलेज गए जब बड़े हो गए
वहां भी हम बोड़म रह गये
सारा सारा दिन चेहरे तकते
इसमें तो पीएचडी कर गए
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
जॉब लग गयी सेटल हो गए
खीसे में कुछ पैसे हो गए
दूर हुई रोज़ मर्रा की कड़की
मिल न पायी बस ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
नगर पूरा छान दिया हमने
कोई घर भी न छोड़ा हमने
एक एक चेहरे में देखीलड़की
कहीं न मिली बस ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
कई साल बाद जब एक मिली
चट मांगनी फिर शादी हो गई
न चेटिंग न डेटिंग न सेटिंग हुई
वो बीवी मेरी तेरी भाभी हो गई
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
बीवी के अंदर भी ढूंढा करते
टीवी के अंदर भी खोजा करते
left no stone unturned भाभी जी
नज़र न आयी पर ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
वक्त गुज़रा फैमिली बढ़ी
बच्चे हुए उनकी शादी हुई
नौकरी जब अपनी पूरी हुई
रिटायर हुए फुर्सत हो गई
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
बैठते है खाली अब क्या करे जी
खोजते है अब भी ‘वो लड़की’
leaving no stone upturned बाबूजी
कभी तो मिल जाएगी ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर
एक दिन टें बोल जाएंगे हम
दुनिया से जब चले जाएंगे हैम
पूछेंगे उपरवाले से उस दिन
क्यों नहीं मिलवाई ‘वो लड़की’
खाली दिमाग शैतान का घर
खाली दिमाग शैतान का घर