चप्पल पहने जग मुआ वर्णन करे न कोय
बिन चप्पल छाले परें पीर घनेरी होय
बच्चे बूढ़े नर नारी सब पहनते चप्पलें
अमीर गरीब फर्क नहीं जानतीं चप्पलें
क्रॉक्स कहो स्लीपर कहो या कह दो चप्पलें
नाम में क्या रखा है बुरा नहीं मानती चप्पलें
धुल मिट्टी और गोबर से बचातीं चप्पलें
पैरों को स्वस्थ निरोग रखती हैं चप्पलें
छोटेन को छोटा नहीं समझतीं चप्पलें
देख बड़े को नंबर नहीं बदलतीं चप्पलें
चलता है आदमी संग चल देतीं चप्पलें
सांस आखिरी तक साथ हैं देतीं चप्पलें
हर साइज हर रंग में दिख जातीं चप्पलें
मिल जातीं दूकान पर सब तरह की चप्पलें
जोड़े में जातीं हैं जहाँ जातीं हैं चप्पलें
समदृष्टि समभाव हमें सिखाती चप्पलें
आदमी के व्यक्तित्व को निखारें जो जूते
औरतों को सजातीं सुन्दर मोहक चप्पलें
हर ख़ुशी में शामिल हो जातीं चप्पलें
नाचने लगो साथ नाचने देतीं चप्पलें
मारपीट हो जाए बने हथियार चप्पलें
छेड़े कोई सरेराह तो उतार लो चप्पलें
भक्ति भाव से होती सराबोर चप्पलें
मंदिर के आगे स्वयं उतर जातीं चप्पलें
एक ध्यान भक्ति लगे दूजे में चप्पलें
हे भगवान न चोरी होवे मेरी चप्पलें
एक रोज़ मेरी भी जब टूट गयी चप्पलें
मांग कर किसी से ली उधार चप्पलें
महिमा चप्पल की इतनी प्यारी लगी हमें
कल ही बाजार से हमने चार-ली-चप्पलें