कुकर कुकर्मी मुझे देख तू सीटी क्यों बजाता है
दाल कहीं और गला भला मुझसे क्या नाता है
मैं कमसिन कढ़ाई कड़छीपूरा की रहने वाली
गंजी की मैं बड़ी बहन तवा जी की मैं घरवाली
तपा हुआ कुनबा मेरा मत उलझ पछतायेगा
हैंडल तेरे फसा दूंगी तो कू कूकरता जायेगा
शाहों के हम ठहरे बर्तन आग से लोहा लेते हैं
उफ़ नहीं करते गर्मी बिन आवाज़ सह लेते हैं
काम करता है तू कम शोर अधिक मचाता है
सुन्दर लड़कियों पर क्यों बुरी नज़र टिकाता है
अलमुनियम तेरा घराना स्टील जो तेरा बाप है
दादाजी मेरे लोहा जो तेरे बाप के भी बाप हैं
छुरा पलटा और चिमटा नाम तूने सुना होगा
पेंट गीली हो जाएगी जब उनसे सामना होगा
हम रजवाड़े खानदानी आवारा है तू लड़का
तेरी माँ की दाल में दूँ क्या प्याज का तड़का
लावारिस तू निकल! कहीं और जा बीन बजा
अपने घरबार और असली बाप का पता लगा