खुशनसीब हैं वो घर जहाँ मेहमान रुका करते हैं
ये वे चिड़ियाँ हैं जो हर डाल पर नहीं बैठतीं
खुदा से है बरकत बरकत से मिलती खुशियां हैं
खुशियों की बारिश हर आँगन को नहीं भिगोती
सोचा करते थे महफ़िलों की सजावट हमसे है
हर बूँद पानी की मगर मोती नहीं बना करती
समंदर किनारे अक्सर लोग प्यासे रह जाते हैं
सेहरां के सूखे पेड़ों में है प्यास जवाब ढूंढती
तू भी तो मेहमान हैं किस बात का गुरूर है
उठ जाएगा दाना पानी छोड़ जाएगा ये धरती