इस बार रेलगाड़ी में हमें कुछ फन्नी नहीं मिला
देखते रहे सब जगह मगर कुछ भी नहीं मिला
अब क्या लिखें सोच रहे थे लगी थी उधेड़बुन
याद आयी फिर एक कहानी तू सुन या न सुन
परदीप सिंह पनेसर रामगढ़िया
कहते थे वो कहानी बहुत बढ़िया
एक कहानी थी उनकी डबल ऍमए
जिसमें किरदार दो बार पढ़ी ऍमए
पहली बार करी तो एक्सीडेंट हो गया
याद्दाश्त वो अपनी इस कारण भूल गया
डॉक्टरों के इलाज़ बात न बन पायी
स्कूल में घरवालों ने फिर से भर्ती करवाई
पढ़ते पढ़ते दोबारा वह कॉलेज तक गया
दोबारा होशियार बालक ऍमए कर गया
कॉलेज से बहार जैसे डिग्री लेकर आया
साइड से आती तेज गाड़ी से टकराया
सर में लगी चोट इलाज़ हॉस्पिटल में साईं
सर्जरी हुई दोनों याद्दाश्त वापस उसने पायीं
दोनों याददाश्त वापस आयीं चमत्कार हो गया
इस तरह से पप्पू अपना डबल ऍमए हो गया