बात अधूरी सी

जो बात अधूरी थी छोड़ी
वो बात हमें बतला जाओ

सुनते सुनते मैं कह भी गया
कहते कहते तुम सुन न सके
दिल को मेरे तुम पढ़ न सके
खुलकर हम भी तो कह न सके

आस तुम्हारे आने की मैं
पलक बिछाए रहता था
तुम आते बतियाते थे और
जीवन सम्पूरण लगता था
जाते देख तुम्हें लेकिन
दिल शोले शोले जलता था

वो आलम था यह आलम है
अब जीवन में खालीपन है
तुम अपना गाँव बसा बैठे
कहीं दूर देश में जा बैठे
हम यहां फंसे जंजालों में
सर पटकते हैं दीवालों से

जो बीत गयी सो बात गयी
हो जीवन में शुरुआत नयी
अब काश अगर यह हो जाए
तकदीर राह गर दिखलाये
तुम आओ बस तुम आ जाओ
जीवन में खुशियाँ भर जाओ

जो बात अधूरी थी छोड़ी
वो बात हमें बतला जाओ

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