न आग न चिंगारी न धुंआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
न ही उलझन न दर्द है मुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
एक रोज़ ज़ख्म नया
मुझको दे जाती थी
छलनी सीना हो जाता
याद जब भी आती थी
तेरी तो दिल पगले
नानी ही मर जाती थी
लग रहा सब दर्द ख़त्म हुआ
क्या असर कर गयी कोई दुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
सारा सारा दिन मुझसे
शिकायतें करता था
छोड़ गए हैं वो जब से
इंतज़ार करता था
वो नहीं आएंगे अब
मैं हर बार कहता था
जादू ये कौन सा हुआ
क्या इंतज़ार ख़तम हुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
हाथ पैर हिल रहे हैं
चल नहीं पाता हूँ
सर भी चकरा रहा है
संभल नहीं पाता हूँ
सच कहूं पर पगले
मजा बहुत आता है
दर्द का जैसे क़त्ल हुआ
कल जो पीली थी असर हुआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया
न आग न चिंगारी न धुंआ
ज़िन्दगी में खेल ये क्या हुआ
न ही उलझन न दर्द है मुआ
दिल बता मैं मर तो नहीं गया