भेजे में लोचा

हम घुटनों पे चलते थे
भेजे से सोचा करते
दुनिया भर की बातें
इस डब्बे में भर लेते

पैरों पर जब चलते थे
घुटने बोझ मरते थे
ज़रा दूर चलने पर ही
हमें जवाब दे देते

घुट घुट कर यूँ जीना
हमको रास न आया
दवा दर्द की करने को
किसी ने इलाज़ बताया

भेजे से चलना सीखो
घुटनों से अब सोचना
घुटने भी दुरुस्त रहेंगे
सब ठीक होगा देखना

हमने सलाह मान कर
खुद पर आज़माया
घुटनों से सोचने लगे
और भेजे को चलाया

यकीन मानो दर्द पर
सौफ़ीसदी असर हुआ है
बॉडी में अनुशासन है
दर्द में आराम मिला है

जब से दिमाग चलाया है
और घुटनों से सोचा है
न घुटनों में दर्द है
न भेजे में लोचा है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *