पब्लिक प्लेस में जब भी जाए
गुटखा न थूके धुआं न उड़ाए
नशे की अगर बास न छोड़े
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
लाल बत्ती पर दुनिया रूकती
‘ठहरिये’ ज़ेब्रा लाइन भी कहती
पीछे से आकर हॉर्न न बजाये
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
चार लोगों में जोर से न चिल्लाये
सुने नहीं अपनी बकता न जाए
ज्ञान की ढपली पीटता न जाए
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
शान से जिए पैसा खुब कमाए
बड़ी गाड़ियों में दिलवाला जाए
शीशा सरकाये कचरा न फेंके
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
पडोसी की खुशी में ख़ुशी पाए
फटे में किसी की टांग न फसाये
गाली में माँ बहन याद न दिलाये
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है
दिल्ली वालों का सलीका होता है
गाड़ी चलाने का तरीका होता है
खुद मार टक्कर घूरता न जाए
समझ लेना कि वो मर्द नहीं है
क्योंकि मर्द को होता दर्द नहीं है